बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-1 गृह विज्ञान बीए सेमेस्टर-1 गृह विज्ञानसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-1 गृहविज्ञान
प्रश्न- प्रोटीन के कार्यों का विस्तृत वर्णन कीजिए।
उत्तर-
प्रोटीन के कार्य
(Functions of Protein)
भोजन में उपस्थित प्रोटीन शरीर को अमीनो अम्ल प्रदान करती है जिसके द्वारा नये ऊतकों का निर्माण तथा पुराने ऊतकों की मरम्मत होती है। प्रोटीन नाइट्रोजन युक्त पदार्थ है, अतः यह शरीर के विभिन्न एन्जाइम, हॉरमोन्स तथा एण्टीबॉडी का निर्माण करता है। प्रोटीन के महत्वपूर्ण कार्य अग्रलिखित है -
1. शरीर निर्माण कार्य (Body Building Function) प्रोटीन के शरीर निर्माणात्मक कार्य निम्नलिखित हैं-
(i) शरीर की वृद्धि एवं विकास करना (Growth and Development of Body) प्रोटीन की आवश्यकता जन्म से लेकर वृद्धावस्था तक बनी रहती है। गर्भावस्था में भ्रूण की वृद्धि एवं विकास के लिए उचित एवं सही मात्रा में प्रोटीन की आवश्यकता होती है। भ्रूण माता के रक्त से अमीनो अम्ल शोषित करते हैं, यही अमीनो अम्ल भ्रूण की वृद्धि एवं विकास करते हैं। इसी कारण गर्भवती स्त्री को अपने आहार में अधिक मात्रा में प्रोटीन लेना चाहिए ताकि भ्रूण की वृद्धि एवं विकास के लिए समुचित प्रोटीन प्राप्त हो सकें। जन्म के पश्चात् शिशुओं का शारीरिक विकास तीव्र गति से होता है, अतः शिशुओं को अधिक प्रोटीन की आवश्यकता होती है। शिशु अवस्था से किशोरावस्था तक विकास काल रहता है, अतः इन अवस्थाओं में अधिकतम प्रोटीन का आहार में समावेश होना चाहिए।
(ii) तन्तुओं का पुनर्निर्माण करना (Reformation of Fibres) - शरीर के तन्तुओं की क्षतिपूर्ति प्रोटीन द्वारा की जाती है। शरीर के तन्तुओं में चोट लगने, जलने, शल्य क्रिया, अत्यधिक व्यायाम के कारण टूट-फूट हो सकती है। इनका पुनर्निर्माण प्रोटीन के द्वारा ही सम्भव है।
(iii) एन्जाइम, हॉरमोन व एण्टीबॉडी का निर्माण कार्य करना (Formation of Enzymes, Hormones and Antibodies) शरीर में प्रोटीन नाइट्रोजन युक्त कई प्रकार के यौगिक बनाती है। ये यौगिक शरीर की कई रासायनिक क्रियाओं में सहायक होते हैं। पाचक रस में उपस्थित एन्जाइम, पेप्सिन तथा ट्रिप्सिन प्रोटीन युक्त एन्जाइम हैं, इन एन्जाइमों में नाइट्रोजन भी पाई जाती है।
कुछ हॉरमोन जैसे थाइरॉक्सिन, एड्रीनलीन, इन्सुलिन, पैराथायराइड तथा पिट्यूटरी से निकलने वाले हॉर्मोन प्रोटीन युक्त होते हैं। इस प्रकार इन सब हॉरमोनों का निर्माण प्रोटीन पर निर्भर करता है।
रक्त में उपस्थित गामा ग्लोब्यूलिन में प्रोटीन उपस्थित रहती है। यह प्रोटीन रक्त में एण्टीबॉडी बनाती है जो शरीर की रोगरोधक क्षमता को विकसित करती है।
2. नियामक कार्य (Regulatory Functions) प्रोटीन शरीर में जल तथा अम्ल व क्षार के संतुलन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
(i) प्रोटीन शरीर की कोशिकाओं की बाह्य एवं आन्तरिक क्रियाओं को नियंत्रित करती हैं। इनकी कमी होने पर शरीर में जल जमा हो जाता है तथा शरीर के विभिन्न अंगों पर सूजन आ जाती है।
(ii) यह रक्त के परासरण दाब को नियंत्रित करती है। कोशिकाओं में उपस्थित कम सान्द्र द्रव का बहाव अधिक सान्द्रता वाले द्रव की ओर होता है, यह बहाव तब तक होता रहता है, जब तक कि दोनों ओर की सान्द्रता बराबर न हो जाये। इस प्रक्रिया द्वारा कोशाओं की झिल्ली पर दबाव पड़ता है, प्रोटीन के अणु इसी परासरण दबाव को नियंत्रित करते हैं।
(iii) प्रोटीन शरीर में अम्ल तथा क्षार की मात्रा को संतुलित करती है। आवश्यकता पड़ने पर प्रोटीन अम्ल या क्षार के समान कार्य करती है।
(iv) प्रोटीन शरीर में ऑक्सीजन तथा कार्बन डाइऑक्साइड के वाहक के रूप में कार्य करती है। हीमोग्लोबिन में ग्लोबिन एक प्रकार की प्रोटीन है। हीमोग्लोबिन फेफड़ों से ऑक्सीजन ऊतकों तक तथा ऊतकों से कार्बन डाइऑक्साड फेफड़ों तक पहुँचाने का कार्य करती है।
3. ऊर्जा प्रदान करना (To Provide Energy) प्रोटीन का मुख्य कार्य निर्माण व पुनर्निर्माण है तथा ऊर्जा के रूप में इसका महत्व बहुत कम है, परन्तु जब आवश्यकता से अधिक प्रोटीन लिया जाता है तो यह अतिरिक्त मात्रा ऊर्जा प्रदान करने का ही कार्य करती है। वास्तव में जब कार्बोज व वसा कम लिए जाते हैं तो प्रोटीन ऊर्जा उत्पादन का कार्य अधिक तथा निर्माण का कार्य कम करती है। दैनिक ऊर्जा की आवश्यकता का 6-12% भाग प्रोटीन द्वारा प्रदान किया जाता है।
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